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आर्यों का आगमन: मैक्समूलर का मत सर्वमान्य, मध्य एशिया मूल स्थान।
ऋग्वेद के नदी सूक्त (10वाँ मंडल) में 21 नदियों का उल्लेख।
ऋग्वैदिक नदियाँ
प्राचीन नाम
वर्तमान नाम
सिन्धु
सिन्धु
अस्किनी
चिनाब
शतुद्री
सतलज
विपाशा
व्यास
वितस्ता
झेलम
सरस्वती / दृष्टिवत्ती
घग्घर
परूष्णी
रावी
महत्वपूर्ण तथ्य
सिन्धु नदी: आर्यों की सबसे प्रमुख नदी, जिसे हिरण्यानीभी कहा गया है।
सरस्वती नदी: ऋग्वेद में नदीत्तमा (सर्वश्रेष्ठ नदी) कहा गया, अवेस्ता में इसे हरख्वति (आधुनिक हेलमंद) बताया गया।
सप्त सिन्धु प्रदेश: आर्यों का प्रथम निवास स्थान, इसमें सरस्वती, सिन्धु और उसकी 5 सहायक नदियाँ शामिल थीं।
पंचजन: आर्यों के पाँच कबीले।
पुरूजन: सबसे महान पराजित जन, बाद में भरत और पुरू के मिलन से कुरू वंशकी स्थापना हुई।
मध्य देश: हिमालय और विन्ध्याचल के बीच का क्षेत्र।
ब्रह्मऋषि देश: गंगा-यमुना दोआब और उसके निकटवर्ती क्षेत्र।
गंडक नदी: सदानीरा के नाम से प्रसिद्ध।
उत्तरवैदिक काल:
धार्मिक परिवर्तन
पूषन, जो ऋग्वैदिक काल में पशुओं के देवता थे, अब शूद्रों के देवता बन गए।
गृहस्थों के लिए पंचमहायज्ञ प्रचलित हुए:
देवयज्ञ (देवताओं के प्रति कृतज्ञता)
पितृयज्ञ (पितरों के प्रति कृतज्ञता)
भूतयज्ञ (सभी जीवों के प्रति कृतज्ञता)
अतिथि यज्ञ (अतिथियों के प्रति कृतज्ञता)
ऋषियों के प्रति कृतज्ञता
विवाह प्रकार
अनुलोम विवाह: पुरुष उच्च वर्ण का, महिला निम्न वर्ण की।
प्रतिलोम विवाह: पुरुष निम्न वर्ण का, महिला उच्च वर्ण की।
गृहसूत्रों के अनुसार आठ विवाह प्रकार:
ब्राह्म विवाह – सर्वश्रेष्ठ विवाह।
दैव विवाह – यज्ञ करने वाले ब्राह्मण से विवाह।
आर्य विवाह – गाय लेकर विवाह।
प्रजापत्य विवाह – वर को कन्या देने का वचन।
असुर विवाह – कन्या को मूल्य देकर खरीदना।
गंधर्व विवाह – प्रेम विवाह, माता-पिता की अनुमति नहीं।