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वैदिक काल | Vedic Age Short Notes in Hindi – 05

Posted on March 21, 2025 by VIKASS

वैदिक काल | Vedic Age Short Notes in Hindi –  🚀 Revise faster than ever with just 20% effort for 100% results! Perfect for last-minute exam prep—no time wasted. 🔥 Don’t miss these game-changing notes!

  • स्रोत: वैदिक काल की जानकारी वेदों से मिलती है।
  • वेद: ब्राह्मण साहित्य में सबसे प्राचीन, अर्थ – \”जानना\”।
  • संस्थापक: आर्य, संस्कृत भाषा का शब्द, श्रेष्ठता व स्वतंत्रता का प्रतीक।
  • लिपि: आर्यों को लिपि की जानकारी नहीं थी।

वैदिक साहित्य:

वैदिक साहित्य के दो भाग

  1. श्रुति साहित्य – वेद, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद।
    • वेदों का संकलन कृष्ण द्वैपायन व्यास ने किया, इसलिए वे वेदव्यास कहलाए।
  2. स्मृति साहित्य – वेदांग, सूत्र, ग्रंथ।

वेद (चार वेद)

1. ऋग्वेद

  • कुल 10 मंडल, 1028 सूक्त, 10,462 मंत्र।
  • गायत्री मंत्र (विश्वामित्र) – तीसरा मंडल।
  • सातवां मंडल वरुण को समर्पित।
  • नौवें मंडल में सोम का वर्णन।
  • पुरुषसूक्त (दसवां मंडल) – चार वर्णों का वर्णन।
  • इन्द्र (250 बार), अग्नि (200 बार) का उल्लेख।
  • ऋग्वेद का उपवेद – आयुर्वेद।
  • शाकल शाखा – ऋग्वेद की एकमात्र जीवित शाखा।

2. सामवेद– MUSIC

  • गायी जाने वाली ऋचाओं का संकलन।
  • 1549 मंत्र (75 छोड़कर शेष ऋग्वेद से लिए गए)।
  • भारतीय संगीत का जनक – सात स्वरों की जानकारी।
  • सामवेद का उपवेद – गंधर्ववेद।
  • शाखाएँ – कौथुम, रामायनीय, जैमीनीय।

3. यजुर्वेद

  • यज्ञ, अनुष्ठान, कर्मकांड मंत्रों का संकलन।
  • गद्य और पद्य दोनों में रचित।
  • विभाजन – कृष्ण यजुर्वेद (गद्य), शुक्ल यजुर्वेद (पद्य)।
  • कृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रंथ – वैतिरीय ब्राह्मण।
  • शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रंथ – शतपथ ब्राह्मण।
  • यजुर्वेद का उपवेद – धनुर्वेद।

वेद एवं उनके पुरोहित, उपवेद, ब्राह्मण ग्रंथ

वेदपुरोहितउपवेदब्राह्मण ग्रंथ
ऋग्वेदहोतृआयुर्वेदऐतरेय, कौषीतकी
सामवेदउद्गातागंधर्ववेदजैमिनीय, तांड्य
यजुर्वेदअध्वर्यधनुर्वेदशतपथ, तैत्तिरीय
अथर्ववेदब्रह्माअर्थवेदगोपथ

अथर्ववेद

  • रोग नाशक मंत्र, जादू-टोना, विवाह गीत
  • कोई आरण्यक ग्रंथ नहीं है।

आरण्यक

  • वनों में रचित ग्रंथ, दार्शनिक रहस्यों से परिपूर्ण।
  • ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के बीच सेतु।
  • मुख्य आरण्यक: ऐतरेय, वृहदारण्यक, कौषीतकी, शतपथ

उपनिषद

  • वेदों का अंतिम भाग (वेदांत)
  • कुल संख्या: 108
  • प्रमुख उपनिषद:
    • कठोपनिषद – नचिकेता-यम संवाद
    • वृहदारण्यक – अहम् ब्रह्मास्मि, पुनर्जन्म
    • मुण्डकोपनिषद – सत्यमेव जयते
    • इशोपनिषद – निष्काम कर्म का पहला विवरण
    • श्वेताश्वतर – भक्ति शब्द का प्रथम उल्लेख

वेदांग (वेदों के अंगभूत शास्त्र) — 6

  • शिक्षा (उच्चारण)
  • कल्प (कर्मकांड)
  • व्याकरण
  • निरुक्त (भाषा विज्ञान)
  • छंद
  • ज्योतिष

स्मृति ग्रंथ

  • हिंदू धर्म के कानूनी ग्रंथ
  • मनुस्मृति (ई.पू. 200): सबसे प्राचीन ग्रंथ

महाभारत

  • रचयिता: वेदव्यास
  • कुल पर्व: 18
  • प्रारंभिक श्लोक: 8800

महाकाव्य

  • महाभारत: प्रारंभ में जय संहिता (8,800 श्लोक), फिर भारत (24,000 श्लोक) और अंततः महाभारत (100,000 श्लोक)।
  • रामायण: वाल्मीकि द्वारा रचित, प्रारंभ में 6,000 श्लोक, फिर 12,000, और अंततः 24,000 श्लोक।

पुराण — 18

  • कुल 18 पुराण, संकलन गुप्तकाल में हुआ।
  • प्रमुख पुराण: मत्स्य, वायु, विष्णु, शिव, ब्रह्मांड, भागवत।
  • मत्स्य पुराण: विष्णु के दस अवतारों का विवरण, सबसे प्राचीन।
  • विष्णु पुराण: सातवाहन
  • वायु पुराण: गुप्त वंश का उल्लेख।

सूत्र साहित्य

  • गृहसूत्र: जातकर्म, विवाह, श्राद्ध आदि।
  • श्रोतसूत्र: राजा द्वारा किए जाने वाले यज्ञ।
  • धर्मसूत्र: धर्म संबंधी विधियाँ।
  • शुल्बसूत्र: यज्ञवेदी निर्माण, ज्यामिति व गणित का प्रारंभ।

वेद एवं विशेषताएँ

  • वैदिक पद्य: ऋचा (पद्य), यजुष (गद्य), साम (गेय)।
  • वैदत्रयी: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद।
  • ऋग्वेद की 21 शाखाएँ (पाणिनि के अनुसार)।
  • ऐतरेय ब्राह्मण में राजा को \”विश्मत्ता\” (कर लेने वाला स्वामी) कहा गया।

ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई. पू.)

आर्यों का आगमन एवं विस्तार

  • मैक्समूलर के अनुसार, आर्यों का मूल स्थान मध्य एशिया था।
  • जीवविज्ञानियों के अनुसार, M-17 आनुवांशिक संकेत मध्य एशिया के 40% से अधिक लोगों एवं दिल्ली के 35% से अधिक हिन्दी भाषी लोगों में पाया गया।
  • इस आधार पर निष्कर्ष निकला कि आर्य मध्य एशिया से भारत आए।

आर्यों का मूल निवास (विद्वानों के मत)

विद्वानमूल निवास
दयानन्द सरस्वतीतिब्बत
मैक्समूलर, रीडमध्य एशिया

आर्यों का विस्तार

  • आर्य मूल रूप से हिमालय, अफगानिस्तान और यमुना नदी के समानांतर क्षेत्रों में फैले।
  • ऋग्वेद के 10वें मण्डल (नदी सूक्त) में 21 नदियों का वर्णन मिलता है।

ऋग्वैदिक नदियाँ

प्राचीन नामवर्तमान नाम
सिन्धुसिन्धु
अस्किनीचिनाब
शतुद्रीसतलज
विपाशाव्यास
वितस्ताझेलम
सरस्वती / दृष्टिवतीघग्घर
परूष्णीरावी

अफगानिस्तान की नदियाँ

नदीस्थान
कुभाकाबुल
कुमुकुर्रम
सुवास्तुस्वात
गोमतीगोमल
  • सिन्धु नदी – ऋग्वैदिक आर्यों की प्रमुख नदी, जिसे \”हिरण्यानी\” कहा गया।
  • सरस्वती नदी – इसे \”नदीत्तमा\” (सर्वश्रेष्ठ नदी) कहा गया। संभवतः अवेस्ता की हरख्वति (हेलमंद) नदी।
  • सप्त सिन्धु प्रदेश – आर्यों का प्रथम निवास क्षेत्र (सरस्वती, सिन्धु और उसकी 5 सहायक नदियाँ)।
  • ब्रह्मऋषि देश – गंगा-यमुना दोआब और उसके आसपास का क्षेत्र।
  • गंडक नदी – \”सदानीरा\” नाम से प्रसिद्ध।
  • समुद्र का अर्थ – बड़ी जलराशि, आधुनिक सागर नहीं।
  • मरूस्थल के लिए शब्द – \”धन्व\”।
  • भरतवंश के राजा – ऋग्वेद में उल्लेख।

जनजातीय संघर्ष

  • ऋग्वेद में \”दस्युहत्या\” का उल्लेख है, \”दासहत्या\” का नहीं।
  • पंचजन – आर्यों के पाँच प्रमुख कबीले।
  • भरत और त्रित्सु – प्रमुख आर्य शासक वंश।
  • पुरूजन – पराजित जनों में सबसे महान।
  • भरत और पुरू मिलकर आगे कुरू वंश की स्थापना करते हैं।

सामाजिक जीवन

  • स्त्रियाँ – सभा-समिति में भाग ले सकती थीं, यज्ञ में आहुति दे सकती थीं।
  • पर्दा प्रथा व सती प्रथा – प्रचलित नहीं थी।
  • नियोग प्रथा व विधवा विवाह – प्रचलित था।

भोजन व कृषि

  • शाकाहारी व मांसाहारी भोजन दोनों प्रचलित थे।
  • यव (जौ) – प्रमुख फसल।

सामाजिक जीवन

  • गोत्र या जन्ममूलक संबंध समाज का आधार था।
  • पितृसत्तात्मक समाज, सबसे छोटी इकाई परिवार (कुल), जिसका प्रधान कुलप होता था।

आर्थिक जीवन

  • ग्राम आधारित सभ्यता, मुख्य आधार पशुपालन, कृषि गौण थी।
  • गाय का विशेष महत्व – ऋग्वेद में 176 बार उल्लेख।
    • गोहना (अतिथि), गोमत (धनी व्यक्ति), गोधूली (संध्या), अधन्या (न मारी जाने वाली गाय), गविष्टि (गाय का अन्वेषण) जैसे शब्द गाय से जुड़े हैं।
  • कृषि का उल्लेख केवल 24 श्लोकों में।
  • प्रमुख शिल्पी – बढ़ई, रथकार, बुनकर, चर्मकार, कुम्हार।
  • अयस – तांबे या कांसे के लिए प्रयुक्त शब्द।

राजनीतिक जीवन

  • शासन कबीले के प्रधान \”राजन्\” द्वारा संचालित।
  • प्रशासनिक संरचना:
    • कुल (कुलप) → ग्राम (ग्रामिणी) → विश (विशपति) → जन (राजन्)
  • राज्यक्षेत्र स्थापित नहीं हुआ था – ऋग्वेद में \”जन\” शब्द 275 बार, लेकिन \”जनपद\” शब्द एक बार भी नहीं आया।
  • समिति के प्रमुख को ईशान कहा जाता था।
  • बलि – राजा को दिया जाने वाला स्वैच्छिक कर।

धार्मिक जीवन

  • कुल 33 देवताओं का उल्लेख।
  • इंद्र (पुरंदर, वृतहन्ता, सोमापा) – सबसे प्रतापी देवता, वर्षा के देवता
  • अग्नि – दूसरा स्थान, देवताओं और मानवों के मध्यस्थ,
  • वरुण – तीसरा स्थान, जल/समुद्र का देवता,
  • अन्य देवता:
    • सोम – वनस्पति के देवता
    • मरूत – आँधी के देवता
    • उषा – प्रगति एवं उत्थान की देवी
    • पूषण – पशुओं के देवता
    • अरण्यानी – जंगल की देवी
    • द्यौ – आकाश का देवता (सबसे प्राचीन)

उत्तर वैदिक काल (1000-600 ई. पू.)

सामाजिक संगठन

  • चार वर्ण – ब्राह्मण, राजन्य (क्षत्रिय), वैश्य, शूद्र।
  • चार आश्रम – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास। पहली बार जाबालोपनिषद में उल्लेख।
  • नारी की स्थिति –
    • ऋग्वैदिक काल में उपनयन संस्कार था, उत्तर वैदिक काल में बंद हुआ।
    • अथर्ववेद में कन्या जन्म की निंदा, ऐतरेय ब्राह्मण में चिंता का कारण बताया गया।
    • तैत्तिरीय आरण्यक – स्त्रियों को ‘शूद्रवत पतित’ कहा।
    • शतपथ ब्राह्मण – पत्नी को ‘अर्धांगिनी’ कहा।
  • विदुषी महिलाएँ – मैत्रेयी, गार्गी, सलवा, वणवा, काव्यायनी।

आर्थिक जीवन

  • लोहे की जानकारी हुई, जिससे खेती आसान हुई।
  • अयस के दो रूप –
    • श्याम या कृष्ण अयस (लोहा)
    • लौह अयस (ताँबा)
  • हल का उल्लेख – शतपथ ब्राह्मण में मिलता है।
  • मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) के चार प्रकार –
    • काला व लाल
    • पोलिद्रुमिक
    • चित्रित धूसर
    • उत्तरी काले पॉलिश

राजनीतिक जीवन

  • जनपदों का निर्माण –
    • भरत + पुरू → कुरू जनपद
    • तुर्वस + क्रिवि → पांचाल जनपद
  • राजा के भिन्न नाम –
    • उत्तर – विराट
    • दक्षिण – भोज
    • पूर्व – सम्राट
    • पश्चिम – स्वराट
    • मध्य – राजा
  • यज्ञों से राजा का प्रभाव बढ़ा –
    • राजसूय यज्ञ – राज्याभिषेक के लिए।
    • अश्वमेध यज्ञ – साम्राज्य विस्तार के लिए।
    • वाजपेय यज्ञ – रथदौड़ व शक्ति प्रदर्शन के लिए।
  • महत्वपूर्ण देवता –
    • पूजापति (ब्रह्मा)
    • शिव (रूद्र)
    • नारायण (विष्णु)

धार्मिक जीवन (उत्तर वैदिक काल)

  • पूषन, जो ऋग्वैदिक काल में पशुओं के देवता थे, अब शूद्रों के देवता बन गए।
  • गृहस्थों के लिए पंचमहायज्ञ प्रचलित हुए –
    • ब्रह्म यज्ञ – ऋषियों के प्रति कृतज्ञता
    • पितृ यज्ञ – पितरों के प्रति कृतज्ञता
    • देव यज्ञ – देवताओं के प्रति कृतज्ञता
    • भूत यज्ञ – समस्त जीवों के प्रति कृतज्ञता
    • अतिथि यज्ञ – अतिथियों के प्रति कृतज्ञता

दार्शनिक जीवन

  • षड्दर्शन (छह प्रमुख दार्शनिक प्रणालियाँ) का उदय हुआ –
दर्शनप्रतिपादक
सांख्यकपिल मुनि
योगपतंजलि
न्यायगौतम ऋषि
वैशेषिककणाद मुनि
पूर्व मीमांसाजैमिनी
उत्तर मीमांसावादरायण

संस्कार एवं सामाजिक जीवन

  • उत्तर वैदिक काल में 16 संस्कार लोकप्रिय हुए
  • उपनयन संस्कार महत्वपूर्ण था, जो केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के लिए था
  • उपनयन के बाद बालक द्विज (दूसरा जन्म) कहलाते थे।

विवाह प्रथाएँ (उत्तर वैदिक काल)

वर्ण के आधार पर विवाह के प्रकार:

  • अनुलोम विवाह – पुरुष उच्च वर्ण का एवं महिला निम्न वर्ण की होती थी।
  • प्रतिलोम विवाह – पुरुष निम्न वर्ण का एवं महिला उच्च वर्ण की होती थी।

गृहसूत्रों के अनुसार विवाह के 8 प्रकार:

  1. ब्रह्म विवाह – सबसे उत्तम विवाह, जिसमें योग्य वर को बिना किसी लेन-देन के कन्या दी जाती थी।
  2. दैव विवाह – यज्ञ करने वाले ब्राह्मण से पुत्री का विवाह किया जाता था।
  3. आर्य विवाह – वर से गाय लेकर, कन्या का विवाह कर दिया जाता था।
  4. प्रजापत्य विवाह – कन्या का पिता वर को वचन देकर विवाह करता था।
  5. असुर विवाह – वर से मूल्य (दहेज) लेकर कन्या को बेचा जाता था।
  6. गंधर्व विवाह – प्रेम विवाह, जिसमें माता-पिता की अनुमति नहीं ली जाती थी।
  7. राक्षस विवाह – बलपूर्वक वधू का अपहरण कर विवाह करना।
  8. पैशाच विवाह – जबरदस्ती एवं अनैतिक रूप से किया जाने वाला विवाह।

ऋग्वेद में उल्लिखित शब्दों की संख्याएँ:

शब्दसंख्या (बार)
पित्ता335
सभा8
इन्द्र250
समिति9
अग्नि200
रूद्र3
गाय176
यमुना3
विश170
गंगा1
सोम देवता144
सिन्धु (सर्वाधिक उल्लिखित नदी)–
विष्णु100
कृषि33
वरुण30
जन275

प्रमुख (राजकीय अधिकारी):

रत्नी (पदनाम)उत्तरदायित्व
सेनानीसेनापति (सैन्य प्रमुख)
ग्रामीणीगाँव का मुखिया
संग्रहीताकोषाध्यक्ष
भागदुधकर संग्रहक
सूतरथ सेना का नायक
गोविकर्तनगवाध्यक्ष, वनपाल



वैदिक साहित्य में सर्वप्रथम उल्लेख

विषयस्रोत (ग्रंथ/उपनिषद्)
दो जैन तीर्थंकरों अरिष्टनेमि एवं ऋषभदेव का उल्लेखऋग्वेद
असतो मा सद्गमय का सर्वप्रथम उल्लेखऋग्वेद
सबसे प्राचीन ब्राह्मण ग्रंथकृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण
सबसे प्राचीन उपनिषद्छान्दोग्य एवं वृहदारण्यक
प्रथम तीन आश्रम (बाल, गृहस्थ, वानप्रस्थ) एवं श्रीकृष्ण का प्रथम उल्लेखछान्दोग्य उपनिषद्
चारों आश्रम का सर्वप्रथम उल्लेखजाबालोपनिषद्
पुनर्जन्म का सर्वप्रथम उल्लेखशतपथ ब्राह्मण / वृहदारण्यक उपनिषद्
गीता से पहले निष्काम कर्मयोग का सर्वप्रथम प्रतिपादनईशोपनिषद्
भरत कबीले का सर्वप्रथम उल्लेखऋग्वेद
ऋग्वैदिक काल के सर्वप्रथम देवताइन्द्र
उत्तर वैदिक काल का सर्वप्रमुख देवताप्रजापति
राजसूय यज्ञ का सर्वप्रथम उल्लेखऐतरेय ब्राह्मण
ऋग्वैदिक काल में सर्वाधिक प्रयुक्त धातुअयस (काँस्य या तांबा)
ऋग्वैदिक काल की सर्वाधिक स्तुत्य नदीसिन्धु
ऋग्वेद की सबसे पवित्र नदीसरस्वती
चारों वर्णों का सर्वप्रथम उल्लेखऐतरेय ब्राह्मण
याज्ञवल्क्य-गार्गी संवाद उल्लिखित हैवृहदारण्यक उपनिषद्
वैश्य शब्द का सर्वप्रथम प्रयोगवाजसनेयी संहिता
श्वेताश्वर उपनिषद् समर्पित हैरुद्र देवता को
कृषि संबंधी प्रक्रिया का उल्लेखऋग्वेद के चतुर्थ मण्डल में

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