सिंधु घाटी सभ्यता Indus Valley Civilization in hindi – 🚀 Revise faster than ever with just 20% effort for 100% results! Perfect for last-minute exam prep—no time wasted. 🔥 Don’t miss these game-changing notes! …
- अन्य नाम – हड़प्पा संस्कृति (1921, दयाराम साहनी)
- काल – प्रोटो-ऐतिहासिक, कांस्य युगीन, भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता
- काल निर्धारण (रेडियोकार्बन डेटिंग) – 2350-1750 ई.पू.
सिंधु सभ्यता के कालखंड
- पूर्व-हड़प्पा काल (3500-2600 ई.पू.) – कोटदीजी, सिसवल, दंबसादात, आमरी-नाल
- परिपक्व हड़प्पा काल (2600-1900 ई.पू.) – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो, लोथल, कालीबंगा, बनावली
उत्तर-हड़प्पा काल (1900-1300 ई.पू.)
सिंधु सभ्यता का विस्तार
- भारत-पाकिस्तान में लगभग 1500 स्थल
- क्षेत्र – त्रिभुजाकार, कुल क्षेत्रफल: 1,299,600 वर्ग किमी
हड़प्पा (1921, दयाराम साहनी)
- स्थान – पाकिस्तान, मोण्टगोमरी जिला, रावी नदी के बाएं तट पर
- विशेषताएँ –
- स्वस्तिक चिन्ह प्राप्त
- छह अन्नागार (ईंटों के चबूतरे पर दो पंक्तियों में)
- फर्श की दरारों में गेहूं और जौ के दाने मिले
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल: एक दृष्टि में
| प्रमुख स्थल | उत्खननकर्ता | वर्ष | नदी | वर्तमान स्थान |
|---|---|---|---|---|
| हड़प्पा | दयाराम साहनी | 1921 | रावी | मोंटगोमरी, पंजाब (पाकिस्तान) |
| मोहनजोदड़ो | राखालदास बनर्जी | 1922 | सिंधु | लरकाना, सिंध (पाकिस्तान) |
| सुतकागेन्डोर | आरेल स्टाइन | 1927 | दाश्क | बलूचिस्तान (पाकिस्तान) |
| चान्हूदड़ो | गोपाल मजूमदार | 1931 | सिंधु | सिंध (पाकिस्तान) |
| कालीबंगा | बी.के. थापर, बृजवासी लाल | 1953 | घग्गर | हनुमानगढ़, राजस्थान |
| कोटदीजी | फजल अहमद मादर | 1953 | सिंधु | खैरपुर, सिंध (पाकिस्तान) |
| रंगपुर | रंगनाथ राव | 1953-54 | – | काठियावाड़, गुजरात |
| रोपड़ | यज्ञदत्त शर्मा | 1953-56 | सतलज | रोपड़, पंजाब |
| लोथल | रंगनाथ राव | 1957-58 | भोगवा | अहमदाबाद, गुजरात |
| आलमगीरपुर | यज्ञदत्त शर्मा | 1958 | हिंडन | मेरठ, उत्तर प्रदेश |
| बनवाली | आर.एस. बिष्ट | 1974 | रंगोई | हिसार, हरियाणा |
| धौलावीरा | आर.एस. बिष्ट | 1985-90 | – | कच्छ, गुजरात |
मोहनजोदड़ो (मृतकों का टीला) – प्रमुख विशेषताएँ
- सबसे बड़ा स्थल
- विशाल स्नानागार (11.88m × 7.01m × 2.43m)
- सबसे बड़ी इमारत: अन्नागार (45.71m × 15.23m)
- पशुपति महादेव की मुहर (त्रिशीर्ष देवता, पद्मासन मुद्रा)
- कूबड़ वाले बैल की मुहर
- नर्तकी की कांस्य मूर्ति
- सूती वस्त्र के प्रमाण
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल
1. कालीबंगा (काले रंग की चूड़ियाँ)
- जूते हुए खेत के साक्ष्य (दो फसली कृषि)
- जल निकास प्रणाली का अभाव
- मुगल शवाधान के प्रमाण
- अलंकृत ईंटें व अग्निकुंड
- एक पल्लेवाले दरवाजे वाले मकान
2. लोथल (लघु हड़प्पा / लघु मोहनजोदड़ो)
- हड़प्पाकालीन बंदरगाह नगर
- चावल उपजाने के अवशेष (1800 ई.पू.)
- अन्न पीसने की चक्की, फारस की मुहरें, नाव के साक्ष्य
- पंचतंत्र की कहानी से मिलता-जुलता चित्रित मृदभांड
3. चान्हूदड़ो
- मनके और गुड़िया बनाने का कारखाना
- लिपस्टिक, बैलगाड़ी व इक्कागाड़ी के अवशेष
- बिल्ली का पीछा करते कुत्ते के पैरों के निशान
4. रंगपुर
- मादर नदी के तट पर स्थित (गुजरात)
- धान की भूसी के साक्ष्य
- कच्ची ईंटों का दुर्ग
5. धौलावीरा
- भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर
- नगर तीन भागों में विभाजित: दुर्ग, मध्यनगर, निचला नगर
- हड़प्पा सभ्यता का एकमात्र क्रीड़ागार
- जल प्रबंधन एवं संरक्षण प्रणाली
- गिरा हुआ उत्कीर्ण लेख (संभवतः साइनबोर्ड)
- 2021 में यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल
6. राखीगढ़ी (हरियाणा)
- भारत में सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल
- 1963 में खोज (सूरजभान)
- घग्घर नदी के किनारे स्थित
- पाँच पुरातात्त्विक टीले
सिंधु घाटी सभ्यता
महत्वपूर्ण तथ्य
- लोहे का ज्ञान नहीं था
- सुरकोटदा में घोड़े की हड्डियों के साक्ष्य
- लिंग पूजक, जबकि आर्य प्रकृति पूजक
- भूमध्यसागरीय प्रजाति के निवासी (मोहनजोदड़ो)
- मुख्यतः लाल और गुलाबी रंग के मिट्टी के बर्तन
- संभावित दास प्रथा
सामाजिक जीवन
- संभवत: मातृसत्तात्मक समाज (मातृदेवी की पूजा)
- शांतिप्रिय, शाकाहारी व मांसाहारी दोनों
- पुरुष व महिलाएँ आभूषण पहनते थे
- मनोरंजन के साधन: पासे का खेल, पशु लड़ाई, नृत्य
- यातायात: बैलगाड़ी का प्रयोग
- टेराकोटा: आग में पकी मिट्टी की मूर्तियाँ
धार्मिक जीवन
- मातृदेवी की उपासना प्रमुख
- मोहनजोदड़ो की पशुपति शिव मुहर प्रसिद्ध
- गर्भ से निकलते पौधे वाली मूर्तिका (उर्वरता देवी)
- कुबड़वाले बैल व फाख्ता की पूजा
- वृक्ष पूजा प्रचलित, मंदिरों के प्रमाण नहीं
आर्थिक जीवन
- मुख्य व्यवसाय: पशुपालन, कृषि, उद्योग
- हल से अनभिज्ञ, लकड़ी के कुदालों से खेती
- कालीबंगा में जुताई के साक्ष्य
- गेहूँ व जौ मुख्य खाद्यान्न (बनवाली में बढ़िया जौ)
- कपास की सबसे पहले खेती
- नदी व तालाबों से सिंचाई (नहरों के प्रमाण नहीं)
व्यापार
- वस्त्र उद्योग मुख्य (मोहनजोदड़ो केंद्र)
- सूती व ऊनी वस्त्रों का प्रयोग
- चान्हूदड़ो व लोथल में मनका व गुड़िया निर्माण
- व्यापार वस्तु-विनिमय प्रणाली पर आधारित
- विदेशी व्यापार: इराक, ईरान, बहरीन, मिस्र
- दिलमन (बहरीन), माकन (मकरान तट), मेलुहा (सिंधु क्षेत्र)
शवाधान
- मुख्यतः गर्तों में दफनाने की प्रथा
- कहीं-कहीं शवदाह व आंशिक समाधीकरण
मुहरें एवं बाट
- बनवाली (हरियाणा): मिट्टी का हल का प्रतिरूप मिला।
- सैंधव मुद्राएँ: मुख्यतः सेलखड़ी (Steatite) से बनीं।
- रंगपुर: बाजरे की खेती के प्रमाण।
- विनिमय प्रणाली: बाटों द्वारा नियंत्रित, चर्ट नामक पत्थर से बने बाट (16, 64, 160, 320, 640 के गुणक)।
- अब तक 2000 से अधिक मुहरें (सील) प्राप्त हुईं।
हड़प्पाई लिपि
- चित्रलेखात्मक (Pictographic), गोमुत्रिका पद्धति (Boustrophedon Style)
- अब तक 375-400 चित्राक्षर मिले, पढ़ी नहीं जा सकी।
नगर योजना एवं विशेषताएँ
- सबसे महत्वपूर्ण विशेषता: सिड पद्धति पर आधारित नगर योजना।
- आलमगीरपुर: यहाँ से एक भी मुहर नहीं मिली।
- सरस्वती नदी: जहाँ बहती थी, वह क्षेत्र “विनशन” कहलाता था।
- हड़प्पाकालीन नगर आयताकार खंडों में विभाजित।
- समुद्रतटीय नगर: सुतकार्गेडोर, सुरकोतदा।
- निवास व्यवस्था: दुर्ग पश्चिम में, बस्ती पूर्व में।
- दरवाजे-खिड़कियाँ मुख्य सड़क की ओर नहीं खुलते, लोथल अपवाद।