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प्रागैतिहासिक काल / सिंधु घाटी सभ्यता in Hindi Notes -02

Posted on March 20, 2025 by VIKASS

प्रागैतिहासिक काल– पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल / सिंधु घाटी सभ्यता–  🚀 Revise faster than ever with just 20% effort for 100% results! Perfect for last-minute exam prep—no time wasted. 🔥 Don’t miss these game-changing notes!

  • मानव सभ्यता का उद्भव प्रतिनूतन (Pleistocene) काल में हुआ।
  • प्रस्तर युग के तीन चरण:
    1. पुरापाषाण काल – आखेटक एवं खाद्य संग्राहक।
    2. मध्यपाषाण काल – आखेटक एवं पशुपालक।
    3. नवपाषाण काल – खाद्य उत्पादक।

1. पुरापाषाण युग (Palaeolithic Age)

(i) निम्न पुरापाषाण काल (500,000 – 50,000 ई. पू.)

  • मानव जीवन अस्थिर, अग्नि का आविष्कार।
  • प्रथम औजारों की खोज (1863) – रॉबर्ट ब्रूस फुट।
  • मुख्य औजार – हस्त कुठार (Hand-axe), विदारणी (Clever), खंडक (Chopper)।
  • प्रमुख स्थल – कश्मीर, थार (राज.), बेलन घाटी (उ.प्र.), भीमबेटका (म.प्र.), सोहन घाटी (पाक.)।

(ii) मध्य पुरापाषाण काल (50,000 – 40,000 ई. पू.)

  • अग्नि का व्यापक प्रयोग, फलक संस्कृति (Flake Culture)।
  • मुख्य औजार – फलक, वेधनी, छेदनी, खुरचनी।
  • प्रमुख स्थल – मिर्जापुर (उ.प्र.), नेवासा (महाराष्ट्र), उड़ीसा।

(iii) उच्च पुरापाषाण काल (40,000 – 10,000 ई. पू.)

  • होमो सेपियन्स (आधुनिक मानव) का उदय, चकमक उद्योग, भीमबेटका की चित्रकारी।
  • मुख्य औजार – तक्षणी (Blades & Burins), शल्क।
  • प्रमुख स्थल – बीजापुर, इनामगांव (महाराष्ट्र), बेलन घाटी (उ.प्र.)।

2. मध्यपाषाण युग (Mesolithic Age) (9000 – 4000 ई. पू.)

  • सूक्ष्म पाषाण (Microliths) औजारों का प्रयोग, पशुपालन के प्रमाण।
  • मुख्य औजार – छोटे पत्थर के औजार।
  • प्रमुख स्थल –
    • म.प्र. – आदमगढ़, भीमबेटका।
    • राजस्थान – बागोर।

3. नवपाषाण युग (Neolithic Age) (9000 – 2500 ई. पू.)

  • खेती की शुरुआत, पॉलिशदार पत्थर के औजार।
  • मुख्य औजार – पत्थर की कुल्हाड़ियाँ।

नवपाषाण काल: प्रमुख स्थल

  • मेहरगढ़ (पाकिस्तान) – गेहूं-जौ की खेती, भेड़-बकरी पालन।
  • बुर्ज़होम (कश्मीर) – गड्ढा आवास (एर्तावास), कुत्तों के साथ दफनाने की प्रथा।
  • गुफ्कराल (कश्मीर) – पशुपालन व कृषि।
  • कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश) – विश्व का प्राचीनतम चावल उत्पादन (6000 ई.पू.)।
  • चिरांद (बिहार) – हिरण के सींगों से बने औजार, कृषि साक्ष्य।
  • पिक्लीहल (कर्नाटक) – पशुपालन, राख के ढेर और निवास स्थान।
  • आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) – नवपाषाण औजार और गुफा चित्र।

सिंधु घाटी सभ्यता

  • अन्य नाम – हड़प्पा संस्कृति (1921, दयाराम साहनी)
  • काल – प्रोटो-ऐतिहासिक, कांस्य युगीन, भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता
  • काल निर्धारण (रेडियोकार्बन डेटिंग) – 2350-1750 ई.पू.

सिंधु सभ्यता के कालखंड

  1. पूर्व-हड़प्पा काल (3500-2600 ई.पू.) – कोटदीजी, सिसवल, दंबसादात, आमरी-नाल
  2. परिपक्व हड़प्पा काल (2600-1900 ई.पू.) – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो, लोथल, कालीबंगा, बनावली

सिंधु सभ्यता का विस्तार

  • भारत-पाकिस्तान में लगभग 1500 स्थल
  • क्षेत्र – त्रिभुजाकार, कुल क्षेत्रफल: 1,299,600 वर्ग किमी

हड़प्पा (1921, दयाराम साहनी)

  • स्थान – पाकिस्तान, मोण्टगोमरी जिला, रावी नदी के बाएं तट पर
  • विशेषताएँ –
    • स्वस्तिक चिन्ह प्राप्त
    • छह अन्नागार (ईंटों के चबूतरे पर दो पंक्तियों में)
    • फर्श की दरारों में गेहूं और जौ के दाने मिले

सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल: एक दृष्टि में

प्रमुख स्थलउत्खननकर्तावर्षनदीवर्तमान स्थान
हड़प्पादयाराम साहनी1921रावीमोंटगोमरी, पंजाब (पाकिस्तान)
मोहनजोदड़ोराखालदास बनर्जी1922सिंधुलरकाना, सिंध (पाकिस्तान)
सुतकागेन्डोरआरेल स्टाइन1927दाश्कबलूचिस्तान (पाकिस्तान)
चान्हूदड़ोगोपाल मजूमदार1931सिंधुसिंध (पाकिस्तान)
कालीबंगाबी.के. थापर, बृजवासी लाल1953घग्गरहनुमानगढ़, राजस्थान
रंगपुर–—–काठियावाड़, गुजरात
रोपड़यज्ञदत्त शर्मा1953-56सतलजरोपड़, पंजाब
लोथलरंगनाथ राव1957-58भोगवाअहमदाबाद, गुजरात
आलमगीरपुरयज्ञदत्त शर्मा1958हिंडनमेरठ, उत्तर प्रदेश
बनवालीआर.एस. बिष्ट1974रंगोईहिसार, हरियाणा
धौलावीराआर.एस. बिष्ट1985-90–कच्छ, गुजरात

मोहनजोदड़ो (मृतकों का टीला) – प्रमुख विशेषताएँ

  • सबसे बड़ा स्थल
  • विशाल स्नानागार (11.88m × 7.01m × 2.43m)
  • सबसे बड़ी इमारत: अन्नागार (45.71m × 15.23m)
  • पशुपति महादेव की मुहर (त्रिशीर्ष देवता, पद्मासन मुद्रा)
  • कूबड़ वाले बैल
  • नर्तकी की कांस्य मूर्ति
  • सूती वस्त्र के प्रमाण

कालीबंगा (काले रंग की चूड़ियाँ)

  • जूते हुए खेत के साक्ष्य (दो फसली कृषि)
  • जल निकास प्रणाली का अभाव
  • मुगल शवाधान के प्रमाण
  • अलंकृत ईंटें व अग्निकुंड
  • एक पल्लेवाले दरवाजे वाले मकान

लोथल (लघु हड़प्पा / लघु मोहनजोदड़ो)

  • हड़प्पाकालीन बंदरगाह नगर
  • चावल उपजाने के अवशेष (1800 ई.पू.)
  • अन्न पीसने की चक्की, फारस की मुहरें, नाव के साक्ष्य
  • पंचतंत्र की कहानी से मिलता-जुलता चित्रित मृदभांड

चान्हूदड़ो

  • मनके और गुड़िया बनाने का कारखाना
  • लिपस्टिक, बैलगाड़ी व इक्कागाड़ी के अवशेष
  • बिल्ली का पीछा करते कुत्ते के पैरों के निशान

रंगपुर

  • मादर नदी के तट पर स्थित (गुजरात)
  • धान की भूसी के साक्ष्य
  • कच्ची ईंटों का दुर्ग

धौलावीरा

  • भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर
  • नगर तीन भागों में विभाजित: दुर्ग, मध्यनगर, निचला नगर
  • हड़प्पा सभ्यता का एकमात्र क्रीड़ागार
  • जल प्रबंधन एवं संरक्षण प्रणाली
  • 2021 में यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल

राखीगढ़ी (हरियाणा)

  • भारत में सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल
  • घग्घर नदी के किनारे स्थित
  • पाँच पुरातात्त्विक टीले

सिंधु घाटी सभ्यता – महत्वपूर्ण तथ्य

  • लोहे का ज्ञान नहीं था
  • सुरकोटदा में घोड़े की हड्डियों के साक्ष्य
  • लिंग पूजक, जबकि आर्य प्रकृति पूजक
  • मुख्यतः लाल और गुलाबी रंग के मिट्टी के बर्तन

सामाजिक जीवन

  • संभवत: मातृसत्तात्मक समाज (मातृदेवी की पूजा)
  • शांतिप्रिय, शाकाहारी व मांसाहारी दोनों
  • पुरुष व महिलाएँ आभूषण पहनते थे
  • मनोरंजन के साधन: पासे का खेल, पशु लड़ाई, नृत्य
  • यातायात: बैलगाड़ी का प्रयोग
  • टेराकोटा: आग में पकी मिट्टी की मूर्तियाँ

धार्मिक जीवन

  • मातृदेवी की उपासना प्रमुख
  • मोहनजोदड़ो की पशुपति शिव मुहर प्रसिद्ध
  • गर्भ से निकलते पौधे वाली मूर्तिका (उर्वरता देवी)
  • कुबड़वाले बैल व फाख्ता की पूजा
  • वृक्ष पूजा प्रचलित, मंदिरों के प्रमाण नहीं

आर्थिक जीवन

  • मुख्य व्यवसाय: पशुपालन, कृषि, उद्योग
  • हल से अनभिज्ञ, लकड़ी के कुदालों से खेती
  • कालीबंगा में जुताई के साक्ष्य
  • गेहूँ व जौ मुख्य खाद्यान्न (बनवाली में बढ़िया जौ)
  • कपास की सबसे पहले खेती
  • नदी व तालाबों से सिंचाई (नहरों के प्रमाण नहीं)

व्यापार

  • वस्त्र उद्योग मुख्य (मोहनजोदड़ो केंद्र)
  • सूती व ऊनी वस्त्रों का प्रयोग
  • चान्हूदड़ो व लोथल में मनका व गुड़िया निर्माण
  • व्यापार — वस्तु-विनिमय प्रणाली पर आधारित
  • विदेशी व्यापार: इराक, ईरान, बहरीन, मिस्र
  • दिलमन (बहरीन), माकन (मकरान तट), मेलुहा (सिंधु क्षेत्र)

शवाधान

  • मुख्यतः गर्तों में दफनाने की प्रथा
  • कहीं-कहीं शवदाह व आंशिक समाधीकरण

मुहरें एवं बाट

  • बनवाली (हरियाणा): मिट्टी का हल का प्रतिरूप मिला।
  • सैंधव मुद्राएँ: मुख्यतः सेलखड़ी (Steatite) से बनीं।
  • रंगपुर: बाजरे की खेती के प्रमाण।
  • विनिमय प्रणाली: बाटों द्वारा नियंत्रित, चर्ट नामक पत्थर से बने बाट (16, 64, 160, 320, 640 के गुणक)।
  • अब तक 2000 से अधिक मुहरें (सील) प्राप्त हुईं।

हड़प्पाई लिपि

  • चित्रलेखात्मक (Pictographic)
  • अब तक 375-400 चित्राक्षर मिले, पढ़ी नहीं जा सकी।

नगर योजना एवं विशेषताएँ

  • सबसे महत्वपूर्ण विशेषता: सिड पद्धति पर आधारित नगर योजना।
  • आलमगीरपुर: यहाँ से एक भी मुहर नहीं मिली।
  • सरस्वती नदी: जहाँ बहती थी, वह क्षेत्र \”विनशन\” कहलाता था।
  • हड़प्पाकालीन नगर आयताकार खंडों में विभाजित।
  • समुद्रतटीय नगर: सुतकार्गेडोर, सुरकोतदा।
  • दरवाजे-खिड़कियाँ मुख्य सड़क की ओर नहीं खुलते, लोथल अपवाद।

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